वायनाड में पुलिस कमांडो की संदिग्ध आत्महत्या: क्या है पूरा मामला?

केरल पुलिस के एक कमांडो की आत्महत्या का मामला राज्य में पुलिसकर्मियों की कार्य परिस्थितियों और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। 36 वर्षीय विनीत, जो माओवादी और आतंकवाद विरोधी अभियान का हिस्सा थे, ने अपनी सर्विस पिस्तौल से खुद को गोली मार ली। यह घटना पुलिसकर्मियों पर बढ़ते दबाव, छुट्टी देने से इनकार, और उच्च अधिकारियों के कथित उत्पीड़न जैसे मुद्दों की ओर ध्यान आकर्षित करती है। कांग्रेस विधायक टी सिद्दीकी ने इसे आत्महत्या नहीं, बल्कि ‘हत्या’ करार देते हुए दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।

केरल में पुलिसकर्मी की आत्महत्या: कार्य दबाव और उत्पीड़न बना कारण?

केरल पुलिस के एक कमांडो की आत्महत्या ने राज्य में पुलिसकर्मियों की कार्य परिस्थितियों और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को उजागर किया है। 36 वर्षीय विनीत, जो माओवादी और आतंकवाद विरोधी अभियान में सक्रिय थे, ने मलप्पुरम के अरीकोड में मालाबार विशेष पुलिस शिविर में अपनी सर्विस पिस्तौल से खुद को गोली मार ली।

उच्च अधिकारियों के उत्पीड़न के आरोप

कांग्रेस विधायक टी. सिद्दीकी ने इस घटना को आत्महत्या नहीं, बल्कि ‘हत्या’ करार दिया है। उन्होंने दावा किया कि विनीत ने तीन बार अनुपस्थिति की छुट्टी के लिए आवेदन किया था, लेकिन अधिकारियों ने इसे अस्वीकार कर दिया। विधायक ने कहा, “विनीत के सुसाइड नोट में उच्च अधिकारियों के नाम स्पष्ट रूप से दर्ज हैं, जो उनकी मौत के लिए जिम्मेदार हैं। उन्हें सेवा में बने रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।”

मानसिक आघात और परिवार की चिंता

विनीत के रिश्तेदारों के मुताबिक, शारीरिक फिटनेस परीक्षण में असफल होने के बाद वह मानसिक आघात से गुजर रहे थे। उनकी पत्नी गर्भावस्था के उन्नत चरण में थीं, और विनीत ने उनसे समय बिताने के लिए छुट्टी मांगी थी, लेकिन यह मंजूर नहीं की गई।

पुलिसकर्मियों की आत्महत्या के बढ़ते मामले

केरल के गृह विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2016 से अब तक राज्य में 138 पुलिसकर्मी आत्महत्या कर चुके हैं। यह आंकड़ा पुलिस बल में मानसिक तनाव और कार्यदबाव की गंभीर स्थिति को दर्शाता है।

क्या है समाधान?

यह मामला एक बार फिर से इस बात पर जोर देता है कि पुलिसकर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य और उनके कार्यदबाव को कम करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। उच्च अधिकारियों की जवाबदेही तय करना और पुलिसकर्मियों को आवश्यक सहायता प्रदान करना, इस समस्या का समाधान हो सकता है।

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