"सबसे कम उम्र के world chess champion GUKESH की वापसी पर भारत ने किया भव्य स्वागत!"
भारतीय शतरंज स्टार गुकेश डोम्माराजू ने मात्र 18 साल की उम्र में सबसे कम उम्र के विश्व चैंपियन बनने का इतिहास रच दिया। सिंगापुर में डिंग लिरेन को हराने के बाद जब गुकेश अपने गृह नगर चेन्नई लौटे, तो हवाई अड्डे पर उनके प्रशंसकों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। ट्रॉफी हाथ में लिए और गले में फूलों की माला पहने, गुकेश ने गर्व से कहा, “ट्रॉफी को भारत वापस लाना मेरे लिए बेहद खास है।” उनकी इस ऐतिहासिक जीत ने न केवल भारत में शतरंज को नया सम्मान दिलाया, बल्कि खेल के प्रति युवाओं के जोश और सपनों को भी नई उड़ान दी है।
भारतीय शतरंज स्टार गुकेश डोम्माराजू ने मात्र 18 साल की उम्र में इतिहास रचते हुए सबसे कम उम्र के विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया।
सिंगापुर में डिंग लिरेन को हराने के बाद जब गुकेश अपने गृह नगर चेन्नई लौटे, तो हवाई अड्डे पर उनके प्रशंसकों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। युवा प्रशंसक अपने नायक की तस्वीरें और तख्तियां लिए हुए थे।
गले में फूलों की माला और हाथ में चमचमाती ट्रॉफी लिए हुए गुकेश ने गर्व से कहा, “ट्रॉफी को भारत वापस लाना मेरे लिए बेहद खास है। मैं यहां आकर बेहद खुश हूं।”
गुकेश की इस ऐतिहासिक जीत ने न केवल भारत में शतरंज को नई पहचान दिलाई, बल्कि युवाओं के बीच इस खेल को पेशेवर करियर के रूप में अपनाने की उम्मीदें भी बढ़ा दी हैं।
चेन्नई के ये नज़ारे इस साल टी20 विश्व कप ट्रॉफी के साथ क्रिकेट सितारों की घर वापसी की याद दिलाते हैं। गुकेश की जीत ने खेल प्रेमियों में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार किया है।
गुकेश की ऐतिहासिक जीत के बाद चेन्नई का माहौल कुछ वैसा ही नजर आया जैसा क्रिकेट सितारों की टी20 विश्व कप ट्रॉफी के साथ वापसी के दौरान देखने को मिला था। हालांकि यह आयोजन छोटे पैमाने पर था, लेकिन उत्साह किसी से कम नहीं था।
गुकेश की सफलता ने विशेष रूप से युवाओं को प्रेरित किया है। उनके स्कूल के छात्र और युवा प्रशंसक तख्तियां और तस्वीरें लेकर अपने नायक का स्वागत करने पहुंचे। यह जीत शतरंज को पेशेवर खेल के रूप में आगे बढ़ाने का सपना देख रहे युवाओं को नई राह दिखाती है।
गुकेश की इस जीत ने भारत में शतरंज के खेल को नई ऊंचाई पर पहुंचाया है। क्रिकेट के प्रति जुनूनी देश में अब शतरंज भी चर्चा का विषय बन गया है।
डिंग लिरेन जैसे अनुभवी खिलाड़ी को हराकर गुकेश ने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया को दिखा दिया कि उनकी प्रतिभा अद्वितीय है। उनकी इस जीत का वैश्विक मंच पर शतरंज के खेल पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
विश्व चैंपियन बनने के बाद अब गुकेश पर उम्मीदों का भार है। आने वाले समय में उन्हें अपने प्रदर्शन को बनाए रखना होगा और शतरंज की दुनिया में और भी ऊंचे मुकाम हासिल करने होंगे।
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