भारतीय नौसेना ने 28 नवंबर 2024 को अपनी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट से 3,500 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली के-4 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। आईएनएस अरिघाट को ‘दुश्मन को नष्ट करने वाली’ का प्रतीक माना जाता है। यह पनडुब्बी 29 अगस्त को विशाखापत्तनम में सेवा में शामिल की गई थी।
आईएनएस अरिघाट: भारतीय नौसेना की नई ताकत
आईएनएस अरिघाट, जिसे ‘दुश्मन को नष्ट करने वाली’ के रूप में परिभाषित किया गया है, भारतीय नौसेना की दूसरी परमाणु शक्ति-संपन्न पनडुब्बी है। 29 अगस्त को विशाखापत्तनम में सेवा में शामिल की गई इस पनडुब्बी का उद्देश्य देश की समुद्री सुरक्षा को और सुदृढ़ करना है। 28 नवंबर 2024 को के-4 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण इसकी अद्वितीय सामरिक क्षमताओं को दर्शाता है। 3,500 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली यह मिसाइल भारत के परमाणु त्रयी को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
आईएनएस अरिघाट को स्वदेशी तकनीक से निर्मित किया गया है, जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसकी तैनाती से हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की उपस्थिति और प्रभाव को और अधिक सशक्त किया गया है।
K-4 बैलिस्टिक मिसाइल: सुरक्षा का अभेद्य कवच
K-4 बैलिस्टिक मिसाइल, जिसे आईएनएस अरिघाट से लॉन्च किया गया, भारतीय रक्षा प्रणाली की एक बड़ी उपलब्धि है। 3,500 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली यह मिसाइल परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम है। इसकी विशेषता यह है कि इसे पानी के भीतर से लॉन्च किया जा सकता है, जो इसे दुश्मन की निगरानी से बचाने में मदद करता है।
इस मिसाइल का परीक्षण भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित तकनीकों की सफलता को दर्शाता है। यह मिसाइल अत्याधुनिक नेविगेशन सिस्टम और सटीकता के साथ लक्ष्य को भेदने की क्षमता रखती है। यह परीक्षण भारत की समुद्री सुरक्षा और रणनीतिक आत्मनिर्भरता को और अधिक मजबूत बनाता है।